डरपोक भूत की कहानी – Darpok Bhoot ki kahani

आज की डरपोक भूत की कहानी बहुत ही रोचक और मजेदार हे। ये कहानी एक नाई और डरपोक भूत की हे जो खाश करके बच्चो को पड़के बहुत ही आनंद आएगा।

Darpok Bhoot ki Kahani एक मजेदार भूतिया की कहानी हे और छोटे बच्चे को ऐसा भूतिया कहानी बहुत पसंद होता हे क्यूंकि इस कहानी पड़ने के बाद बच्चे नहीं बल्कि भूत खुद डर जायेंगे।

डरपोक भूत की कहानी

आज की कहानी बहुत ही खाश होने बाला हे। जो बच्चे भूत से डरते हे बह बच्चे इस डरपोक भूत की कहानी को पड़ने के बाद उसे भूत से बिलकुल भी डर नहीं लगेगा।

भूत की कहानी होता ही हे बहुत डरावनी लेकिन आज की कहानी Darpok Bhoot ki Kahani एक डरपोक भूत की हे जो दूसरे को डराने बाला हे बह खुद ही डर जायेगा।

तो चलिए पड़ते हे, नाई के पास ऐसा किया था जो भूत भी उसे डरने लगा। किया हे इस पूरी कहानी चलिए पड़ लेते हे।

नाई और भूत की कहानी

डरपोक भूत की कहानी - Darpok Bhoot ki kahani
डरपोक भूत की कहानी – Darpok Bhoot ki kahani

एक बार की बात हे, हुशुमपुर गांव में पाँचू नाम के एक नाई रहता था। बह गांव की लोगो का दादिओर बाल कटबाके जितना पैसा मिलता था बह उसी पैसोसे अपना पत्नी के साथ बहुत ही मुश्किल से गुजरा करता था।

एकदिन सुबह सुबह पाँचू नाई गांव में घूमते हुए कहने लगा बाल कटबाने की एक दो आना दाड़ी बनाना की एक आना और दोनों एकसाथ बनाने पर मालिश मुफ्त में मिलेगा।

पाँचू नाई गांव में घूमते घूमते परेशान हो गया क्यूंकि उसे कोई भी बाल दाड़ी काटने केलिए नहीं बुला रहा था। पाँचू नाई बहुत सोच ने पड़ गया क्यूंकि अगर घर में बिना पैसा का जाएंगे तो उसका पत्नी झाड़ू से पिटेगा।

पाँचू नाई मन ही मन में बीड़ बिड़ाने लगा सुबह सुबह किसका मुँह देखकर उठा था, आज का दिन लगता हे बहुत ही ख़राब हे, सुबह से एक भी ग्राहक नहीं मिला। एक बार पंडित का मोहल्ला में जाकर देखता हु !

पंडित मोहल्ला में घुसते ही एक पंडित में पाँचू नाई को पुकारा और कहा अच्छा से मेरा सर मुंडबा दो लेकिन मेरा चोटी पर ध्यान रखना मेरा चोटी नहीं काटना चाहिए।

अगर मेरी चोटी काट गया तो मुझसे बुरा और कोई नहीं होगा। पाँचू नाई ने कहा चिंता मत करो पंडित महाराज में इस काम में माहिर हु।

में बचपन से ये नाई की काम करते आ रहा हु, आजतक किसीके पास मेरा शिकायत सुना हे। और में ऐसे ही नाम नहीं कमाया।

पंडित ने कहा तुम अपने नाम आपने पास ही रखो। मेरी चोटी को कुछ नहीं होना चाहिए। पंडित की ऐसा कहने पर पाँचू नाई ने बहुत ही ध्यान से पंडित की बाल काटने लगा।

बाल काटते बक्त अचानक एक मच्छर आया और पाँचू नाई की कानो की आसपास भिन भिनाने लगा। पाँचू नाई ने कहा ये मच्छर कहा से आ गया, जा यहाँ से मुझे आपने काम करने दे।

तभी पाँचू नाई से हरबारी में पंडित की चोटी काट गयी और पंडित के सामने जाकर गिरा। पाँचू नाई बहुत ही डर गया और पंडित आपने चोटी देखकर गुस्से में लाल लाल हो गया।

पंडित ने कहा पाँचू ये तूने किया अनर्थ कर डाला अब देख में आज तेरी सारी नाई गिरी दिखता हु। पंडित ने जैसा ही गुस्से से कहा पाँचू ने तुरंत अपना समान झोला में डाला और बहा से भागने लगा।

पंडित भी गुस्से में आकर पाँचू नाई की पीछे पीछे भागने लगा। पाँचू नाई ने कहा बचाओ बचाओ ये पंडित आज मुझे मार डालेगा। तभी नाई ने एक नारियल का ऊंचे पैर पर चढ़ गया।

पंडित को पेड़ में चढ़ना नहीं आता था इसलिए बह पेड़ की निचे बहुत देर तक इंतजार किया लेकिन पाँचू नाई निचे नहीं आया और पंडित ने कहने लगा तुझे आज छोड़ रहा हु लेकिन जिसदिन तू मिलेगा उस दिन में तेरी बहुत बुरा हल करूँगा।

ये कहते हुए पंडित ने बहा से चला गया और पंडित के जाने की बाद पाँचू नाई निचे आया और चेन की सास ली। और कहा भगबान की लाख लाख सुकर हे जो पंडित चला गया।

पाँचू नाई फिर से आगे चलने लगा और देखा की एक सिपाही राज दरबार की सामने सो रहा हे। और तभी पाँचू नाई कहने लगे बाल कटबाने की एक दो आना दाड़ी बनाना की एक आना और दोनों एकसाथ बनाने पर मालिश मुफ्त में मिलेगा।

डरपोक भूत की कहानी - Darpok Bhoot ki kahani
डरपोक भूत की कहानी – Darpok Bhoot ki kahani

ये सुनकर बह सिपाही जाग गया और पाँचू नाई को कहा मेरा दाड़ी बनबा दे लेकिन ध्यान से मेरा मुचे नहीं काटना चाहिए। अगले बार एक नाई ने मेरा मुचे काट दिया था उसकी गाला ही काट दिया था।

सिपाही की बात सुनकर पाँचू नाई ने सौचने लगा आज तो बहुत ही बुरा हो रहा हे मेरे साथ ये सोचते हुए सिपाही की दाड़ी बनबाने लगा।

दाड़ी बनबाते की समय सिपाही फिर से बैठे बैठे सो गया और अचानक जब सिपाही उठ गया तब गलती से सिपाही का मुचे काट गया।

पाँचू नाई डर के मारे अपना झोला में सामान समेट ने लगा और सिपाही बहुत गुस्से में आकर कहा नाई तूने मेरा मुचे काट दिया आज में तुझे मेरी भला से तुझे मार ही डालूंगा।

सिपाही की बात सुनते ही अपने जान बचाकर पाँचू नाई तेजी से भागने लगा। सिपाही ही भी हाथ में भला लेकर पाँचू नाई की पीछे पीछे भागने लगा।

लेकिन कुछ देर जाने की बाद सिपाही की पैर एक पत्थर से टकराया और बह बहा गिर परे। पाँचू नाई पीछे मुड़ कर देखा तो उसकी जान में जान आया।

पाँचू नाई बहुत दुखी हो कर रस्ते में जा रहा था तभी बहा एक आदमी से पाँचू नाई की मुलाकात हुआ और बह आदमी ने अरे पाँचू नाई इधर जंगल की तरफ कहा जा रहेहो?

साम होने बाला हे सामने ही हुसुमपुर का जंगल हे और बहा भूतो की डेरा हे। भूतो की बाल काटना हे किया? पाँचू नाई ने कहा किया करू गांव की लोग मुझे काम नहीं देता और घर में बीबी की गाली गलौज।

इससे अच्छा जंगल में ही सही हे। जो होगा देखा जायेगा। ये कहते हुए पाँचू नाई जंगल की तरफ जाने लगा। और जंगल में जाकर एक पेड़ की निचे बैठ कर आराम करने लगा।

डरपोक भूत की कहानी - Darpok Bhoot ki kahani
डरपोक भूत की कहानी – Darpok Bhoot ki kahani

और उसी पेड़ में एक भूत रहता था और बह भूत पेड़ की ऊपर से अपने हाथो पे मुंडी लेकर पाँचू नाई की सामने उसे डराने केलिए रख दिया

पाँचू नाई कहने लगा अरे ये तो भूत का मुंडी हे, पाँचू नाई ये देखकर डर से कांपने लगा उसके बाद भूत एक पैर पाँचू नाई के सामने रख दिया और ये देखकर पाँचू नाई और भी जगा डर गया।

उसके बाद भूत ने पाँचू नाई के सामने आकर खड़ा हो गया अर कहने लगा बहुत दिन हो गया में कोई इंसान का हलवा नहीं खाया लेकिन इसका हड्डी और मास पकाके हलबा बनाकर खाऊंगा बहुत मजा आयेगा।

पाँचू नाई भूत को देखकर थर थर कांपने लगा और मन ही मन में सोचने लगा हे भगबान आज किस किस मुसीबत का सामना करना पड़ेगा ये भूत तो आज मुझे हलबा बनाकर खा जायेगा।

तभी बह सोचा की मरने से पेहेले एक आखरी कोसिस करके देखता हे और ये सोचकर बहुत हिम्मत करके बह भूत से कहा मेने आपने इस झोला में बहुत सारे भूतो को भर कर रखा हु और हमें और एक भूत मिल गया।

तुझे भी इस झोला में भर लेता हु। किया तू भूतो को पकड़ कर झोले में भर लेता हे? पाँचू नाई ने कहा हाँ में भूतो को केयेद करके झोले में डाल देता हु।

किया तू सच में भूतो को पकड़ कर झोला में रखता हे? पाँचू नाई ने कहा हाँ में तुझे अभी दिखता हु। पाँचू नाई ने आपने झोले से आयना निकला और बह भूते की मुँह की सामने रख दिया।

भूत ने आपने ही चेहरे को आयना में दिखा और उसे लगा की ये कोई दूसरा भूत हे, ये देखकर बह भूत बहुत ही दर गया और कहा ये तो सच में भूतो को पकड़ कर झोला में रख देता हे।

पाँचू नाई ने कहा आ आ तू भी आ जा मेरा झोला में, तुझे भी केयेद करके इस झोला में भर देता हु। भूत ने कहा मुझे माफ़ कर दो मुझसे बहुत बड़ा गलती हो गया मुझे छोड़ दो।

पाँचू नाई ने कहा में तुझे छोड़ दूंगा लेकिन मेरा एक बात मानना पड़ेगा? भूत ने कहा में तुम्हारी हर मानने केलिए तैयार हु, बताओ मुझे किया करने पड़ेगा?

पाँचू नाई ने कहा तू मुझे एक बोरी मोहोर लेकर दे? भूत ने तुरंत एक बोरी मोहोर लेकर दे दिया। पाँचू नाई ने कहा अब मुझे मेरी घर तक छोड़ दे?

भूत ने कहा मेरी कंधे में बैठो में तुम्हे तुम्हारे घर तक छोड़ देता हु। पाँचू नाई भूत की कंधे में बैठ कर आपने घर में पहुंच गया। घर में पहुंचते ही भूत से कहा सुबह होने से पहले यहाँ एक सुन्दर सा घर और एक धान का गोला बनाकर देना।

भूत ने कहा ठीक हे मालिक ये कहते हुए भूत ने उसे एक सोने की खुर दिया और कहा आपको जब भी मेरी जरुरत पड़ेगा इस खुर को आपने नाख़ून से घिसना में तुरंत तुम्हारे सामने हाजिर हो जाऊंगा। ये कहते हुए भूत बहा से चला गया।

पाँचू नाई बीबी को आवाज दी और दरबाजा खोलने को कहा। पाँचू नाई की बीबी ने दरबाजा खोला तो देखा की एक बहुत बड़ा बोरी लेकर उसका पति दरबाजे की बहार खड़ा हे।

घर की अंदर आये ही पूछा बह बोरी में किया हे तो पाँचू नाई ने उसका बीबी को सारे बात बताई ये सुनकर उसका बीबी बहुत ही खुश हुआ और सुबह देखा की सच में एक सुन्दर सा घर और एक धान की गोला उसके घर की सामने बाना हुआ हे।

अगले दिन जब नरेन् भूत ने जंगल से एक बोरी मोहोर लेकर जा रहा था तो भूतो की सर्दार ने उसे पूछा नरेन् बोरी लेकर इतना रात को तू कहा जा रहा हे।

नरेन् ने बहुत दुःख के साथ कहा सर्दार में एक इंसान की गुलामी कर रहा हु। किया तू एक इंसान की गुलामी कर रहा हे? तू तो भूत समाज की नाक काट कर रख देगा?

कौन हे बह? सर्दार बह ना भूतो को पकड़ कर उसका झोला में केयेद कर के रख देता हे। किया भूतो को पकड़ ता हे। मुझे लेकर चल उसके पास डेक में आज उसकी मजा चखता हु।

डरपोक भूत की कहानी - Darpok Bhoot ki kahani
डरपोक भूत की कहानी – Darpok Bhoot ki kahani

ये कहकर दोनों भूत मिलकर पाँचू नाई की घर के बाहार आकर पहुंच गया। पाँचू नाई को पहले से ही पता था इसलिए बह खिड़की से सब देख रहा था।

तभी पाँचू नाई आपने झोला से आयना लेकर भूतो की चहेरे की सामने रख दिया और कहा देख मेने दो भूत को पकड़ कर रख दिया और आज तुझे भी पकड़ कर रख दूंगा।

सर्दार भूत ये देखकर डर के मारे कहने लगा ये किया मुसीबत हे में किसके डराने केलिए आया था। तभी सर्दार भूत ने कहा मुझे माफ़ कर दो मुझे छोड़ दो,

में तुम्हे एक सोने की कांगी देता हु तुम्हे कोई भी चीज की जरुरत पड़ेगी तो ये कंगी एक बार तुम तुम्हारे बालो पर लगा लेना तुम्हे सब कुछ मिल जायेगा।

पाँचू नाई ने कहा ठीक हे तुझे छोड़ दूंगा लेकिन अभी मुझे एक बोरी मोहोर देकर जा। ये कहते हुए सर्दार भूत ने एक बोरी सोने की मोहोर देकर बहा से अपना जान बचाकर चला गया।

पाँचू नाई ने आपने बुध्दि से भूत को भी आपने बस में कर लिया और आपने नया घर के साथ साथ आपने बीबी को लेकर खुसी ख़ुशी अपने जीबन गुजर ने लगा।

कहानी से सीख : – “अगर हम बुद्धि से काम करेंगे तो बड़ा से भी बड़ा परेशानी से छुटकारा पा सकते हे।

निष्कर्ष

बच्चो आज की डरपोक भूत की कहानी आपको केसा लगा कमेंट करके जरूर बताना। हम जब मुसीबत में होते हे तब हमें सूझ बुझ कर उस मुसीबतो का सामना करना चाहिए क्यूंकि ताकत से बुध्दि अधिक शक्तिशाली होता हे।

डरपोक भूत की कहानी FAQ

Q. भूत का राजा का कौन होता हे?

A. लोगो की मानना हे की ब्रह्मदैत्य भूत की राजा होता हे।

Q. सबसे डरावनी कहानी कौन सी हे?

A. सबसे डरावनी कहानिओं में जैसा भूतिया घर सबसे डरावनी कहानी हे।

Q. Darpok Bhoot ki Kahani सबसे ज्यादा किसको पसंद हे?

A. Darpok Bhoot ki Kahani बच्चे को पसंद हे।

Q. पाँचू नाई ने भूत को कौन सा चीज से डराया था?

A. पाँचू नाई ने भूत को आईने से डराया था।

Q. पाँचू नाई ने किसका चोटी काट दिया था?

A. पाँचू नाई ने एक ब्राम्हण पंडित का चोटी काट दिया था।

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